ज्योतिष शायद सबसे पुराना
विषय है और एक अर्थ में सबसे ज्यादा तिरस्कृत विषय भी है। सबसे पुराना इसलिए कि मनुष्य
जाति के इतिहास की जितनी खोजबीन हो सकी है उसमें ज्योतिष, ऐसा कोई भी समय नहीं था,
जब मौजूद न रहा हो।
ज्योतिष की सर्वाधिक
गहरी मान्यताएं भारत में पैदा हुईं। सच तो यह है कि ज्योतिष के कारण ही गणित का जन्म
हुआ। ज्योतिष की गणना के लिए ही सबसे पहले गणित का जन्म हुआ और इसीलिए अंकगणित के जो
अंक हैं वे भारतीय हैं, सारी दुनिया की भाषाओं में।
भारत से ज्योतिष की
पहली किरणें सुमेर की सभ्यता में पहुँचीं। सुमेरियंस ने सबसे पहले, ईसा से छह हजार
वर्ष पूर्व, पश्चिम के जगत के लिए ज्योतिष का द्वार खोला।
जीसस से छह हजार वर्ष
पहले सुमेरियंस की यह धारणा कि पृथ्वी पर जो भी बीमारी पैदा होती है, जो भी महामारी
पैदा होती है, वह सब नक्षत्रों से सम्बन्धित है। अब तो इसके लिए वैज्ञानिक आधार मिल
गए हैं; और जो लोग आज के विज्ञान को समझते हैं, वे कहते हैं कि सुमेरियंस ने मनुष्य-जाति
का असली इतिहास प्रारम्भ किया। इतिहासज्ञ कहते हैं कि सब तरह का इतिहास सुमेर से शुरु
होता है।
१९२० में ‘चिजेवस्की’
नाम के एक रूसी वैज्ञानिक ने इस बात की खोजबीन की कि जब भी सूरज पर- हर ग्यारह वर्षों
में पीरियाडिकली बहुत बड़ा विस्फ़ोट होता है, तभी पृथ्वी पर युद्ध और क्रांतियों के सूत्रपात
होते हैं। उसने कोई ७०० वर्ष के लम्बे इतिहास में सूर्य पर जब भी दुर्घटना घटती है,
तभी पृथ्वी पर दुर्घटना घटती है, इसका इतना वैज्ञानिक विश्लेषण किया कि स्टैलिन ने
उसे १९२० में उठा कर जेल में डाल दिया। वह स्टैलिन के मरने के बाद ही जेल से छूट सका,
क्योंकि स्टैलिन के लिए तो अजीब बात हो गई। मार्क्स का और कम्युनिस्टों का खयाल है
कि पृथ्वी पर जो क्रान्तियाँ होती हैं, उनका कारण मनुष्य के बीच आर्थिक वैभिन्य है
और चिजेवस्की कहता है कि क्रांतियों का कारण सूरज पर हुए विस्फ़ोट हैं।
सूरज पर हुए विस्फ़ोट
और मनुष्य के जीवन की गरीबी और अमीरी का क्या सम्बन्ध? अगर चिजेवस्की ठीक कहता है तो
मार्क्स की सारी की सारी व्याख्या मिट्टी में चली जाती है। तब क्रांतियों का कारण वर्गीय
नहीं रह जाता, ज्योतिषीय हो जाता। चिजेवस्की को गलत सिद्ध करना तो कठिन था, लेकिन उसे
साइबेरिया में डाल देना आसान था।
स्टैलिन के मर जाने
के बाद ही चिजेवस्की को ख्रुश्चेव साइबेरिया से मुक्त कर पाया। इस आदमी के जीवन के
कीमती पचास साल साइबेरिया में नष्ट हुए। छूटने के बाद भी वह ४-६ महीने से ज्यादा जीवित
नहीं रह सका। लेकिन ६ महीने में भी वह अपनी स्थापना के लिए और नए प्रमाण इकट्ठे कर
गया है। पृथ्वी पर जितनी महामारियां फ़ैलती हैं, उन सबका सम्बन्ध भी वह सूरज से जोड़
गया है।
सूरज जैसा हम साधारणत:
सोचते हैं, ऐसा कोई निष्क्रिय अग्नि का गोला नहीं है, अत्यन्त सक्रिय है और प्रतिपल
सूरज की तरंगों में रूपांतरण होते रहते हैं तथा सूरज की तरंगों का जरा सा रूपांतरण
भी पृथ्वी के प्राणों को कम्पित करता है। इस पृथ्वी पर कुछ भी ऐसा घटित नहीं होता,
जो सूरज पर घटित हुए बिना घटित हो जाता हो। जब सूर्य का ग्रहण होता है, तो पक्षी जंगलों
में गीत गाना चौबीस घंटे पहले से बंद कर देते हैं। पूरे ग्रहण के समय तो सारी पृथ्वी
मौन हो जाती है, पक्षी गीत गाना बंद कर देते हैं, सारे जंगलों के जानवर भयभीत हो जाते
हैं, किसी बड़ी आशंका से पीड़ित हो जाते हैं। बंदर वृक्षों को छोड़कर नीचे आ जाते हैं।
भीड़ लगा कर किसी सुरक्षा का उपाय करने लगते हैं और एक आश्चर्य कि बन्दर, जो निरंतर
बातचीत और शोरगुल में लगे रहते हैं, सूर्यग्रहण के वक्त इतने मौन हो जाते हैं, जितने
साधु और सन्यासी भी नहीं होते।
: ओशो वाणी
क्रमश: ...
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